Tuesday 23 April 2013

भ्रष्टाचार: गुड़िया नामक ५ वर्षीय बच्ची से बलात्कार (पाप और पुण्य का मनोविज्ञान)
आज से २-३ दशक पहले तक इतनी दरिंदगी नहीं थी| कारण शायद यह नहीं कि पुराने समय में दरिंदों की कमी थी, बल्कि करने योग्य कार्य (शुभ कार्य) एवं वर्जित कार्य (अशुभ कार्य) क्रमश: पुण्य एवं पाप के रूप में परिभाषित थे| और सारा समाज इसका अनुसरण करते हुए एवं डर कर ही सही, किन्तु घृणित कार्यों से दूर रहता था| आज समाज का एक बड़ा वर्ग अंध-विशवास समझ कर इस पुरातन आध्यात्मिक विज्ञान से दूर हटता जा रहा है| मंदिर तो हम आज भी जाते हैं लेकिन वापस लौटकर वर्जित कार्य ही करते हैं |आज का मनुष्य आधुनिक विज्ञान सम्मत तर्क पर ही विश्वास करता है| डॉक्टर के डायबिटीस बतलाने और शक्कर बंद कर इन्सुलिन लेने की सलाह हम तुरंत मान लेते हैं | क्योंकि Test Report यह कह रही होती है| इस प्रकार आज के दौर में पाप पुण्य के सीधे सीधे फार्मूला से काम नहीं चलने वाला बल्कि उनके वैज्ञानिक विश्लेषण दिए जाने की आवश्यकता है | आज चरित्रहीनता प्रदर्शित करने वाले धारावाहिको, कंप्यूटर पर पोर्न साइट्स इत्यादि की भरमार है| कुछ एक  दुष्परिणामों के चलते वैज्ञानिक नवीनीकरण को रोका भी नहीं जा सकता| ऐसी स्थितियों में भारत जैसे देश को सख्त क़ानून के साथ साथ पोलियो, चेचक आदि के सामान भ्रष्टाचार विरोधी एक वैज्ञानिक टीके की आवश्यकता है जो वैज्ञानिक तर्कों पर आधारित हो और एक रोग और इसके दुष्परिणामो के आधार पर इसे समझा सके|
अनुचित रूप से (shortcut तरीके से) हासिल की गयी कोई भी सफलता दिमाग को अस्थिर करती है| यह अस्थिरता सकारात्मक कार्यों से दूर करते हुए सारे परिवार को प्रभावित करती है| मानसिक अस्थिरता की अधिकता ब्लड-प्रेशर को जन्म देती है| बी.पी. की निरंतरता heart disease एवं Uric-Acid की वृद्धि करते है| जिससे ह्रदय घात एवं किडनी फेल्योर होते हैं| मात्र शारीरिक रूप से ही नहीं वरन आचार व्यावहार पर भी प्रतिकूल असर होता है| आने वाली पीढ़ियों को संस्कार के रूप में अकर्मण्यता एवं दुराचरण (एब) ही मिलता है| भ्रष्टाचार नहीं होगा तो system properly कार्य करेगा और जानवर स्वत: ही डर कर दरिंदगी करने से बचेगा|
Corruption is inversely proportional to prosperity
एक सज्जन ने एक प्रदेश के Electricity Board को करोड़ों रुपयों की चूना लगाया और मस्ती से रहने लगे| सेवानिवृत्ति के कुछ ही वर्षों उपरांत उन्होंने अपनी सारी चल एवं अचल संपत्ति सरकार को सौंपते हुए एक पत्र लिखा कि मैं इस संपत्ति का कभी भी धनात्मक उपयोग (Positive Use) नहीं कर सका | दो बेटे हैं जो कि अकर्मण्य एवं शराबी हो चुके हैं, बीवी मार्केटिंग करती रहती है एवं मैं स्वयं बीमार होकर बिस्तर पर पड़ा रहता हूँ जिसे पानी देने वाला भी कोई नहीं| इस संपत्ति ने मेरे पूरे घर को उजाड़ कर रख दिया है| मैं यह सारी सम्पत्ति सरकार को देता हूँ, शायद मेरा प्रायश्चित्त हो सके एवं मेरा परिवार ठीक हो सके| यह पत्र एवं घटना एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र में प्रकाशित भी की गयी थी, जिसे आज प्रचारित करने की आवश्यकता है|

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